उनकी ज़िन्दगी क्या है ??
सुबह सुबह मोहल्ले में पानी भरने के लिए जाना
फिल्मी गीतों को बहती धार क साथ गुनगुनाना |
दफ्तर में बैठ कर यही सोचते रह जाना...
की शाम को उस घर में वापस न जाना पड़े ,
जहाँ माँ खांसती हुई मिलेगी,
और मैं दवाई नहीं ला पाउँगा |
बच्चों के टूटे खिलौनों को
भला कितनी बार जोड़ पाउँगा ??
बीवी की फटी साड़ी से
झाकेंगे कल के सपने ,
पर आखिर वही तो हैं अपने।
भले ही हर दिन बोझ है
और खुद पर उधार है ,
तू जैसी भी है ज़िन्दगी
मुझे तुझसे प्यार है
मुझे तुझसे प्यार है |
- AYUSH SINGH✍✍
Bahoot khoob! Achchi kavita hain....👏👏👏
ReplyDeleteVery Nice ����
ReplyDeleteVery nice ....
ReplyDeleteToo good
ReplyDelete